राजस्थान की मध्यकालीन न्याय व्यवस्था
परम्परागत न्याय व्यवस्था थी, राजा सर्वोच्च न्यायाधीश होता था, सामन्त अपनी जागीर में प्रमुख न्यायाधीश की स्थिति रखता था। इसके अतिरिक्त गाँवों में ग्राम पंचायते होती थी। खालसा क्षेत्र में न्याय का कार्य हाकिमों के द्वारा किया जाता था, जागीर में जागीरदार न्यायाधिकारी होता था। जातिय पंचायते भी होती थी। छोटी चौरियों और सामाजिक अपराध …