बैराठ सभ्यता

बैराठ सभ्यता

बैराठ सभ्यता

प्राचीन मत्स्य जनपद में स्थित बैराठ की बीजक पहाड़ी, भीम की डूंगरी व महादेव जी की डूंगरी से हड़प्पा सभ्यता व मौर्यकाल के अवशेष प्राप्त हुए। दयाराम साहनी, नील रत्न बनर्जी, कैलाशनाथ दीक्षित जैसे विद्वान इसके उत्खनन से जुड़े हुए थे। बैराठ के चारों ओर पत्थरों की प्रचुरता के बावजूद यहाँ के भवनों, मठों, स्तूपों व मंदिरों के निर्माण में ईंटों का प्रयोग किया गया। इन ईंटों की बनावट मोहनजोदड़ो की ईंटों के समान है। यहाँ 6-7 कमरों का एक खण्डहरनुमा भवन मिला है, जिसे पुरातत्ववेत्ता बौद्धमठ मानते हैं।इस संस्कृति के लोग लौह धातु से परिचित थे। इनका जीवन पूर्णत: ग्रामीण संस्कृति का था। 7वीं सदी में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहाँ की यात्रा की थी। उसने यहाँ के बैल व भेड़ें प्रसिद्ध बताई ।

प्राचीन नामविराटनगर
सभ्यताहड़प्पा सभ्यता व मौर्यकाल
जिलाजयपुर
खुदाई स्थलबीजक की पहाड़ी, भीमजी की डूंगरी तथा महादेव डूंगरी इत्यादि
उत्खनन कार्यदयाराम साहनी ( 1936 ई.)
नीलरत्न बनर्जी एवं कैलाशनाथ दीक्षित( 1962-63 ई.)

बैराठ उत्खनन से प्राप्त अवशेष :

  • बैराठ से एक गोल मंदिर व अशोक के स्तम्भ के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  • 1938 ई. में कैप्टन बर्ट को यहां मौर्य कालीन बाह्मी लिपि में उत्कीर्ण अशोक का भाब्रू अभिलेख प्राप्त हुआ है, जो अशोक के बौद्ध धर्म का अनुयायी होने का सबसे पुख्ता प्रमाण माना जाता है।यह अभिलेख वर्तमान में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में सुरक्षित है।
  • उत्खनन में चाँदी की आठ ‘पंचमार्क’ और इण्डोग्रीक शासकों की 28 मुद्राएँ मिली हैं जो बैराठ पर यूनानी अधिकार प्रमाणित करती हैं। मुद्राएँ खण्डहर में एक भाण्ड में हाथ से बने हुए सूती कपड़े से बँधी मिली हैं।
  • बैराठ के उत्खनन से मिट्टी के बने पूजा पात्र, थालियाँ, लोटे, मटके, खप्पर, कुंडियाँ, घड़े आदि मिले हैं, लेकिन लोहे व ताँबे की कलाकृतियाँ नहीं मिली हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: © RajRAS