भगवान बुद्ध कभी राजस्थान नहीं आये किंतु उनके निर्वाण के बाद के 1000 सालों में राजस्थान बौद्ध धर्म के बहुत बड़े केन्द्र के रूप में उभरा। यह एक विस्मयकारी बात थी कि जब गुप्त शासक चौथी शताब्दी ईस्वी के मध्य
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भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया में यूं तो कई प्राचीन शिव मंदिर बने हए हैं लेकिन यहां के उण्डेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला बेमिसाल है। मंदिर का प्रवेश द्वार चार प्रस्तर स्तम्भों पर टिका हुआ है। ये स्तम्भ घट पल्लव एवं
नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ और मांगलोद गांवों की सीमा परदधिमति माता के नाम से विख्यात यह मंदिर नवीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है। यह मंदिर प्रतिहारकालीन मंदिर स्थापत्य की अनुपम थाती है। वेदीबंध की सादगी, जंघा