प्रशासन के तीन प्रमुख स्तम्भ थे सैनिक व सामान्य प्रशासन दूसरा न्याय व्यवस्था और तीसरा भू-राजस्व व्यवस्था, सैनिक और न्याय व्यवस्था के समान ही भू राजस्व व्यवस्था में भी सामन्तों की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। मध्यकाल में कृषि ही आय का
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परम्परागत न्याय व्यवस्था थी, राजा सर्वोच्च न्यायाधीश होता था, सामन्त अपनी जागीर में प्रमुख न्यायाधीश की स्थिति रखता था। इसके अतिरिक्त गाँवों में ग्राम पंचायते होती थी। खालसा क्षेत्र में न्याय का कार्य हाकिमों के द्वारा किया जाता था, जागीर
एक व्यवस्थित राज्य के लिये प्रशासनिक व्यवस्था अनिवार्य तत्त्व है। मध्यकाल में राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था से तात्पर्य मुगलों से सम्पर्क के बाद से लेकर 1818 ई. में अंग्रेजों के साथ हुई सन्धियों की काल अवधि के अध्ययन से है।
राजस्थान की सामन्त व्यवस्था रक्त सम्बन्ध और कुलीय भावना पर आधारित थी। सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड ने यहाँ की सामन्त व्यवस्था के लिये इंगलैण्ड की फ्यूडल व्यवस्था के समान मानते हुए उल्लेख किया है। इसे विद्वानों ने केवल राजनीतिक शब्दावली