मेवाड़ को प्राचीन काल में शिवि, प्राग्वाट, मेदपाट कहा गया है। गुहिल वंश को गुहिलोत, गोहिल्य, गोहिल, गोमिल भी कहा गया है। इस वंश का आदिपुरुष गुहिल था। इस कारण इस वंश के राजपूत जहाँ-जहाँ जाकर बसे उन्होंने स्वयं को
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हर्ष की मृत्यु (647 ई.) के पश्चात् राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में राजपूत की सत्ता स्थापित हुई। राजपूत शब्द की उत्पति राष्ट्रकूट से हुई। सातवीं सदी से बाहरवीं सदी इतिहास में राजपूत काल के नाम से जानी जाती है। राजपूतों
आर्य संक्रमण के बाद राजस्थान में जनपदों का उदय होता है, जहाँ से हमारे इतिहास की घटनाएँ अधिक प्रमाणों पर आधारित की जा सकती हैं। यह जनपद चित्तौड़, अलवर, भरतपुर, जयपुर क्षेत्र में विस्तृत थे तथा यह क्रमशः शिवी, राजन्य, शाल्व एवं मत्स्य जनपद के नाम से
मौर्यों के अवसान के बाद शुंग वंश का उत्थान हुआ था। पंतजलि के महाभाष्य से ज्ञात होता है कि शुंगों ने यवनों से माध्यमिका की रक्षा की थी। यवन शासक मिनाण्डर ने 150 ई.पू. में माध्यमिका (नगरी) को जीता था।
राजस्थान के कुछ भाग मौर्यों के अधीन या प्रभाव क्षेत्र में थे। मौर्यवंशी राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्तौड़गढ़ की स्थापना की तत्पश्चात मौर्यवंशी राजा ‘मानमोरी’ को हराकर बप्पा रावल ने चित्तौड़गढ़ जीता। राजस्थान में मौर्य शासन के प्रमाण अशोक का