राजस्थान राज्य गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड

राजस्थान राज्य गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड

राजस्थान राज्य गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड का होगा गठन

राज्य के सभी वर्गाें के विकास एवं उत्थान के उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने गाडिया लौहार समाज को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इनके पिछड़ेपन को दूर करने हेतु ’राजस्थान राज्य गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड’ के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।

राजस्थान राज्य गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड द्वारा गाडिया लौहार समाज के विकास एवं कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करना तथा इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए स्थायी निवास उपलब्ध कराने तथा समुदाय के लिए संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित किया जाएगा।

साथ ही, गाडिया लौहार समाज के परम्परागत व्यवसाय के तौर-तरीकों में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव, आर्थिक उन्नयन एवं रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सुझाव देने जैसे कार्य बोर्ड द्वारा किए जाएंगे।

गाडिया लौहार कल्याण बोर्ड की संरचना

  • एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष तथा 5 सदस्य सहित कुल 7 सदस्य होंगे
  • प्रशासनिक विभाग – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग

गाड़िया लौहार जाति

गाडिया लोहार राजस्थान की एक अनोखी घुमक्कड़ जाति है, जो अपना घर कभी नहीं बनाती, बल्कि कलात्मक बैलगाड़ी ही इनका चलता-फिरता घर है। इनके जीवन के विविध रंग इस गाड़ी में ही सिमटे हुए हैं। जन्म, मरण, घरण, गौना आदि सब कुछ बैलगाड़ी में ही होते हैं।

गाड़िया लौहारों का प्रण था कि महाराणा प्रताप का जब तक चित्तौड़गढ़ किले पर वापस अधिकार नहीं हो जाएगा तब तक हम स्थायी रूप से एक स्थान पर निवास नहीं करेंगे। महाराणा प्रताप का यह प्रण जब पूरा नहीं हुआ तो गाड़िया लौहारों ने भी एक स्थान पर स्थायी निवास नहीं किया। ये लोग अपनी गृहस्थी बैलगाड़ियों में एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर लुहारी कार्य से जीविकोपार्जन करने लगे।

स्वतंत्रता के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने इस जाति को स्थायी निवास उपलब्ध कराने का प्रयास किया। पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने 1959 में चित्तौड़गढ़ में गाड़िया लौहारों के सम्मेलन को सम्बोधित किया और समझाया कि वे स्थायी रूप से एक स्थान पर रहें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें।
इसके बाद राजस्थान सरकार ने इनके लिए स्थायी आवास की शहरों, कस्बों एवं गांवों में व्यवस्था की। वर्तमान में इनके बच्चों के लिए विद्यालयों की भी व्यवस्था की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: © RajRAS