राजस्थान के पशु संसाधन, पशुपालन, प्रमुख चुनोतियाँ

राजस्थान के पशु संसाधन, पशुपालन, प्रमुख चुनोतियाँ

क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, जिसमें पूरे देश कालगभग 11 प्रतिशत भौगोलिक हिस्सा शामिल है। राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से कृषि कार्यों एव पशुपालन पर ही निर्भर करती है। राजस्थान की ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनसंख्या का जीविकोपार्जन का मुख्य साधन पशुपालन एवं कृषि ही है। राजस्थान पशु संसाधन में समृद्ध राज्य है।

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राजस्थान में पशुपालन, विशेषकर शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में कृषि की सहायक गतिविधि ही नहीं है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, जो कि अकाल की स्थिति में कृषक को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करती है। कृषि उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन राजस्थान की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। पशुपालन शुष्क कृषि का एक महत्वपूर्ण अंग है। पशुपालन वर्षा आधारित क्षेत्र में कृषि प्रणाली की आर्थिक व्यवहार्यता और स्थायित्व को बढ़ाता है।

शुष्क पश्चिमी क्षेत्र में पशुपालन, सूखे एवं अकाल की मार के विरूद्ध सुरक्षा कवच का काम करता है और गरीब ग्रामीणों को सतत् एवं स्थायी आजीविका प्रदान करता है। राज्य में शुष्क क्षेत्र में दूध देने वाली उन्नत नस्ल (राठी, गीर, साहीवाल तथा थारपारकर), दूध व खेती दोनों कार्य के लिए कांकरेज व हरियाणा नस्ल के गौवंश तथा नागौरी व मालवी की संकर नस्ल प्रचुर मात्रा में हैं। राजस्थान पशु सम्पदा में समृद्ध राज्य है। देश के सर्वोत्तम गौवंश, भेड़, बकरी, घोड़ा व ऊँट की नस्लें राज्य में हैं।

प्रदेश के पशुपालक व किसानों की सकल घरेलू आय 30 से 50 प्रतिशत पशुपालन से ही प्राप्त होती है, जो कि कई परिवारों में 80 प्रतिशत या अधिकतकपाई गई है। इससे राज्य की शुद्ध घरेलू उत्पत्ति का भी महत्वपूर्ण अंश प्राप्त होता है।

पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट के अनुसार 2012 की पशुगणना की तुलना में 2019 में देश का कुल पशुधन 535.78 मिलियन है, जो कि गत पशुगणना की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है।

राजस्थान के जी.वी.ओ. में पशुधन उत्पादों का प्रतिशत योगदान

वर्ष 2021-22 में प्रचलित मूल्यों पर पशुधन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन 1.56 लाख करोड़ अनुमानित है। राजस्थान राज्य में पशुधन क्षेत्र से होने वाली आय में दूध, अण्डे और मांस का प्रमुख योगदान है।

वर्ष 2021-22 में प्रचलित मूल्यों पर पशुधन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन
वर्ष 2021-22 में प्रचलित मूल्यों पर पशुधन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन

20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट-2019 के अनुसार राजस्थान में पशुधन संख्या

क्र. सं.पशु प्रजातिसंख्या 201920वीं गणना में देश में स्थान
1गौ-धन13.9 मिलियनछठा स्थान
2भैंस13.7 मिलियनदूसरा स्थान
3भेड़7.9 मिलियनचौथा स्थान
4बकरी20.84 मिलियनपहला स्थान
5ऊँट2.13 लाखपहला स्थान
6घोड़ा0.34 लाखतीसरा स्थान
7गधे0.23पहला स्थान
8कुल पशुधन56.8 मिलियनदूसरा स्थान

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