बालाथल की सभ्यता

बालाथल की सभ्यता

बालाथल की सभ्यता

उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के बालाथल ग्राम में 1993 ई. में पूना विश्वविद्यालय के प्रो. वी.एन. मिश्र के निर्देशन में हुए उत्खनन से एक ताम्र पाषाणिक सभ्यता प्रकाश में आई । यहाँ के उत्खनन से प्राप्त मृद्भाण्डों, ताँबे के औजारों और मकानों पर सिंधु घाटी सभ्यता का प्रभाव दिखाई देता है। हड़प्पा सभ्यता से इसके संपर्क के पुख्ता प्रमाण मिलते है। बालाथल में 1800 ईसा पूर्व के लगभग ताम्र पाषाणिक सभ्यता तथा 600 ईसा पूर्व के लगभग लौहयुगीन सभ्यता आबाद होने का पुरातत्वशास्त्रियों का अनुमान है। यहाँ से लोहा गलाने की पाँच भट्टियों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

सभ्यताताम्र पाषाणिक सभ्यता(1800 ईसा पूर्व), लौहयुगीन सभ्यता(600 ईसा पूर्व)
जिलाउदयपुर
खुदाई स्थलवल्लभनगर तहसील के बालाथल ग्राम
नदी क्षेत्रबेड़च नदी
उत्खनन कार्य प्रो. वी.एन. मिश्र (1993 ई.)

बालाथल उत्खनन से प्राप्त सामग्री

  • यहाँ उत्खनन में अपरिष्कृत मृद्भाण्ड मिले हैं, जो पूरी तरह से पके हुए नहीं हैं। अलंकरण भी बहुत कम मृद्भाण्डों पर मिलता है।
  • उत्खनन में मिट्टी से बनी सांड की आकृतियाँ मिली हैं, जिनका प्रयोग संभवत: पूजा के लिए किया जाता था।
  • पत्थर के मनके, पक्की मिट्टी की मूर्तियाँ, पशु आकृतियाँ, ताँबे के औजार भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं।
  • ताँबे के औजारों में गन्डासे, चाकू, उस्तरे, चूलदार बाणों के अग्रभाग तथा ताँबे के सिक्के मिले हैं जिन पर हाथी और चन्द्रमा की आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं।
  • यहाँ से पाँचवीं सदी ईसा पूर्व का हाथ से बुना कपड़े का एक टुकड़ा भी प्राप्त हुआ है।
  • यहाँ के उत्खनन से लोहे के औजार प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुए हैं, लोहा गलाने की पाँच भट्टियों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

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