डामोर जनजाति

डामोर जनजाति

डामोर जनजाति भील जनजाति की ही उपशाखा है। यह जनजाति मुख्य रूप से राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, तथा उदयपुर जिले में केंद्रित है। ये सर्वाधिक डूंगरपुर जिले के सीमलवाडा पंचायत क्षेत्र में निवास करते हैं। गुजरात में भी बड़ी संख्या में अनेक गोत्रों के डामोर रहते हैं, इसीलिए राजस्थान की डामोर जनजाति के भाषा व रहन सहन में गुजरात का काफी प्रभाव देखने को मिलता है।

परमार गोत्र की डामोर जनजाति के लोग अपनी उत्पत्ति राजपूत वंश से मानते है जबकि सोसौदिया गोत्र के डामोर अपनी उत्पत्ति चित्तौड़ राज्य के सिसौदिया वंश से मानते हैं।

इस जनजाति में भीलों की अपेक्षा अपने तन की शुद्धता का महत्व अधिक हैं।साथ ही पुरूष भी महिलाओं के समान अधिक आभूषण धारण करते है। इनके अन्य संस्कार व रीति रिवाज, सामाजिक व्यवस्था मीणा व भील जनजाति से मिलते जुलते हैं।

इन इस जनजाति के लोग एकल-परिवारवादी होते है। शादी होते ही लड़के को मूल परिवार से अलग कर दिया जाता है।

अन्य नाम – डामरिया

मुखी : डामोर जनजाति पंचायत का मुखिया

प्रमुख प्रथाएँ

  • बहुविवाह प्रथा : डामोर जनजाति में बहुविवाह प्रथा प्रचलित है अर्थात इस जनजाति के पुरुष एक से अधिक विवाह कर सकते है।
  • दापा प्रथा : इस जनजाति में विवाह का मुख्य आधार वधू मूल्य होता है वर पक्ष को कन्या के पिता को वधू मूल्य चुकाना पड़ता है दापा कहते है।
  • चाडिया : इस जनजाति द्वारा होली पर आयोजित मनोरंजक कार्यक्रम को चाडिया कहते है।
  • मौताणा – उदयपुर संभाग में प्रचलित प्रथा है, जिसके अन्तर्गत खून-खराबे पर जुर्माना वसूला जाता है।
  • वढौतरा – मौताणा प्रथा में वसूली गई राशि वढौतरा कहलाती है।

प्रमुख मेले :

  • छैला बावजी या झेला बावजी का मेला : छैला बावजी का मेला गुजरात राज्य के पंचमहल नामक स्थान पर भरता है।
  • ग्यारस की रैवाड़ी का मेला : ग्यारस की रैवाड़ी का मेला प्रतिवर्ष अगस्त-सितम्बर माह में राजस्थान के डूँगरपुर जिले में भरता है।

3 thoughts on “डामोर जनजाति

  1. डामोर दो प्रकार के हैं
    1. डामोर जनजाति एक अलग ही जनजाति हैं जो पहले OBC थे जो बाद में ST में आये| यह राजपुत वंशज हैं अपने आप को आदीवासी नहीं मानते है| यह डामोर गुजरात से आये हुए हैं|
    डामोर जनजाति की उप जनजातियां या गौत्र -सिसोदिया ,राठोड़, परमार, आमलिया,रावत‌ आदि|
    आमलिया डामोर की कुलदेवी आशापुरा माॅ, सिसोदिया की कुलदेवी लक्ष्मी माताजी, राठोड़ की कुलदेवी नागेश्वरी माताजी आदि|
    2. भील जनजाति की उपशाखा डामोर है| यह रियल डामोर जनजाति से अलग हैं| भील की गोत्र डामोर जो उनमें भी दो शाखा है

  2. Mahendra singh damor डामोर जाती भील की उपशाखा है जो राजा शंकर के सेनापति थे। भील डामोर ही real डामोर है जिनका संंबंध मुलत मध्यप्रदेश के धार जिल्ले और राजा भोज से युध्ध और गुजरात के धोलका से सीधे संबंध रखता है।
    Obc में जो डामोर और sc में भी डामोर आते है जो भील डामोर से काफी अलग है वो सिर्फ अटक या सरनेम के लिये प्रयोग करते है
    भील डामोर में डामोर की बहोत उपजातिआ है जैसै बामणिया डामोर ,परमार डामोर ,पटेलिया डामोर ,सिसोधीया, सोंलकी डामोर ,राठोठ डामोर
    परमार, सिसोदिया,राठौर,चोहान ,सोंलकी, सरादिया,खराडी ,बरिया उपनाम रखने वाले डामोर इन सब 8 वंशो को आगे बडानेवाले मानते है जो मुलत भील डामोर के वशंज है ।

  3. डामोर अपने आपको कभी राजपूतों से सम्बन्धित नहीं मानते हैं।डामोर भील आदिवासी की एक गोत्र है।।इतिहासकारों तथा लेखकों ने सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: © RajRAS