राजस्थान राज्य सूचना आयोग

राजस्थान राज्य सूचना आयोग

भारत में सन् 2005 में संसद द्वारा ‘सूचना का अधिकार अधिनियम'(RTI)पारित किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीय नागरिकों को विभिन्न सरकारी सूचनाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना था। इसी अधिनियम के अंतर्गत राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से केंद्रीय स्तर पर केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्यों के स्तर पर राज्य सूचना आयोग की स्थापना का प्रावधान था।

  • राजस्थान में राज्य सूचना आयोग की स्थापना – 18 अप्रैल 2006
  • मुख्यालय – जयपुर

राजस्थान राज्य में भी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के तहत 18 अप्रैल 2006 को राजस्थान राज्य सूचना आयोग की स्थापना की गई। यह एक वैधानिक आयोग है, जिसका मुख्यालय जयपुर हैं।

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संरचना

राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम 10 राज्य सूचना आयुक्त का प्रावधान है। (वर्तमान में राजस्थान में एक अध्यक्ष व चार सदस्य हैं।)

नियुक्ति

सभी नियुक्तियां राज्यपाल द्वारा गठित मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशों के आधार पर होती है।

समिति के सदस्य:

  • अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
  • सदस्य –
    1. विधानसभा में विपक्ष का नेता( यदि विधानसभा में विपक्ष का नेता ने हो तो विपक्ष के सबसे बड़े दल का नेता इसका सदस्य होता है)
    2. मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत कैबिनेट मंत्री।

अध्यक्ष एवं सदस्य के लिए अहर्ताएं

  • आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को विधि, विज्ञान, तकनीक, समाज, सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंचार व प्रशासन आदि का विशिष्ट ज्ञान होना चाहिए।
  • राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य ना हो।
  • किसी राजनीतिक दल से सम्बद्ध न हो तथा लाभ का पद धारण न कर रखा हो।
  • लाभ का व्यापार या उद्यम न करता हो।

कार्यकाल

  • अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा। (सूचना का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2019)
  • अध्यक्ष एवं सदस्य पुनरनियुक्ति हेतु पात्र नहीं होंगे।

पद से हटाना

राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या कोई राज्य सूचना आयुक्त किसी भी समय राजयपाल को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना त्याग-पत्र दे सकता है। राज्यपाल मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्तों को निम्न आधारों पर पद से हटा सकता है:-

  • सिद्ध कदाचार या अक्षमता( सर्वोच्च न्यायालय की जांच के उपरांत)
  • दिवालियापन
  • नैतिक चरित्र हीनता का दोषी (राज्यपाल की नजर में )
  • कार्यकाल के दौरान अन्य लाभ का पद धारण करें हो।
  • शारीरिक या मानसिक रूप से कार्यों के निर्वहन में असमर्थ हो।

वेतन व भत्ते

  • मुख्य सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्त के वेतन,भत्ते व अन्य सेवा शर्ते केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित होंगे। (सूचना का अधिकार संशोधन अधिनियम 2019 )
  • वेतन व भत्तों में कार्यकाल के दौरान कोई भी अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

वार्षिक प्रतिवेदन

  • आयोग वार्षिक प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है।
  • राज्य सरकार प्रतिवेदन को विधानसभा के पटल पर रखती है।

आयोग की शक्तियां एवं कार्य

राज्य सूचना आयोग एक स्वतंत्र निकाय की तरह कार्य करता है। यह दर्ज शिकायतों की जांच करता है तथा उनका निराकरण करता है।

  1. आयोग की प्रमुख कार्य निम्न है:-
    • निराकरण :-
      • यदि जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति न होने के कारण सूचना नहीं मिल पाई हो।
      • उपेक्षित जानकारी न प्राप्त हो
      • उपयुक्त समय में जानकारी ना प्राप्त हो।
      • सूचना, अपर्याप्त झूठी या भ्रामक हो
  2. यदि किसी विषय में जाँच करने के लिए युक्तियुक्त आधार है तो आयोग मामले की जांच का आदेश दे सकते है।
  3. निम्नलिखित मामलों की जांच करते समय आयोग को दीवानी न्यायालय के अधिकार प्राप्त होते हैं। जैसे:-
    • व्यक्ति को समक्ष प्रस्तुत होने का समन जारी कर सकता है।
    • व्यक्ति को शपथ अथवा साक्ष्य हेतु बुला सकता है।
    • किसी न्यायालय या सरकारी कार्यालय से दस्तावेज मांग सकता है।
    • आयोग जांच करते समय सार्वजनिक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कह सकता है तथा ऐसा करना अनिवार्य होता है।
  4. आयोग को लोक प्राधिकारी से अपने निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त है।
    • किसी विशिष्ट रूप में सूचना तक पहुँच उपलब्ध करवाना।
    • लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति हेतु सार्वजानिक प्राधिकारी को आदेश देना।
    • अभिलेखों के प्रबंधन में परिवर्तन करना।
    • कतिपय सूचना या सूचना प्रवर्गों को प्रकाशित करना।
    • आवेदन को निरस्त करना। अधिनियम की अनुपालना के सम्बन्ध में लोक प्राधिकारी से वार्षिक रिपोर्ट लेना।
  5. सूचना का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने वाले लोक प्राधिकारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकता है। आयोग ढाई सौ से ₹25000 तक का जुर्माना लगा सकता है।
    • यदि सूचना अधिकारी आवेदन लेने से मना कर दे।
    • समय अवधि में सूचना उपलब्ध न हो।
    • यदि अधूरी व अशुद्ध सूचना प्रदान करें।
    • यदि सूचना उपलब्ध करवाने में बाधा उत्पन्न करें।

राजस्थान के मुख्य सूचना आयुक्त

1श्री एमडी कोरानी राज्य के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त
2श्री T श्रीनिवासन
3 श्री सुरेश चौधरी
4श्री डी बी गुप्तावर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त दिसंबर 2020 से

वर्तमान सदस्य

  1. श्री राजेंद्र प्रसाद BARWAR
  2. श्री लक्ष्मण सिंह राठौड़
  3. श्री एम एल लाठर
  4. शीतल धनखड़

One thought on “राजस्थान राज्य सूचना आयोग

  1. s suchana adhikari or pratham suchna adhikari dwara rti ka koi jawad nahi dene per rajya suchana aayog ko ditiya apeel karane per aayog dwara kya karyawahi hoti he

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