राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.)

केन्द्रीय सरकार द्वारा केन्द्र प्रवर्तित योजना के रुप में वर्ष । 2007-08 से राज्य में गेहूं एवं दलहन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन प्रारम्भ किया गया था। भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 के दौरान वित्त पोषण पैटर्न में परिवर्तन कर। केन्द्रीयांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 कर दिया है।

गेहूं एवं दलहन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ. एस.एम.) के अन्तर्गत प्रमाणित बीजों का वितरण, उन्नत उत्पादन तकनीक का प्रदर्शन, जैविक खाद, सूक्ष्म तत्वों, जिप्सम, समन्वित कीट प्रबन्धन (आई.पी.एम.), कृषि यंत्रो, फव्वारा पम्प सैट सिंचाई जल हेतु पाइप लाईन एवं फसल तंत्र आधारित प्रशिक्षण द्वारा किसानों को सहयोग देना आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं।

राज्य में गेहूं के लिए 14 जिलों यथा- बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, बीकानेर, जयपुर, झुन्झुनूं, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक एवं उदयपुर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन को लागू किया। गया है।

राज्य में मोटा अनाज यथा मक्का एवं जौ के लिए 11 जिलों यथा- अजमेर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, श्रीगंगानगर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, नागौर, सीकर तथा उदयपुर में एन.एफ.एस.एम. क्रियान्वित । किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.)वाणिज्यिक फसलों के अन्तर्गत कपास के लिए अग्रिम । प्रदर्शन और पौध संरक्षण रसायन सम्मिलित है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन न्यूट्रीसीरियल- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन न्यूट्रीसीरियल योजना एक केन्द्रीय प्रवर्तित योजना के रूप में राज्य में वर्ष 2018-19 में प्रारम्भ किया गया है। इस योजना में प्रमाणित बीज का वितरण, उत्पादन तकनीक में सुधार का प्रदर्शन, जैव उर्वरकों को बढ़ावा देना,

सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबन्धन और फसल | प्रदर्शन पर किसानों को प्रशिक्षण देना। इस योजना में चयनित जिलों में भारत सरकार द्वारा बाजरा फसलें 21 जिलों यथाअजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, चूरू, दौसा,धौलपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुन्झुनू, | जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही व टोंक तथा ज्वार फसलें 10 जिलों यथा- अजमेर, अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जयपुर, जोधपुर, नागौर, पाली व टोंक में सम्मिलित की गई हैं।

वर्ष 2018-19 के अन्तर्गत 117.67 करोड़ के प्रावधान के विरुद्ध 95.41 करोड़ व्यय किए गए हैं।

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